12 रबी उल अव्वल ईद मिलाद उन नबी शरीफ की कुछ जानकारी तफ़्सीरात हिंदी में

 

12 रबी उल अव्वल ईद मिलाद उन नबी शरीफ की कुछ जानकारी तफ़्सीरात हिंदी में

 

12 रबी उल अव्वल ईद मिलाद उन नबी शरीफ की कुछ जानकारी तफ़्सीरात हिंदी में
12 रबी उल अव्वल /ईद मिलाद उन नबी

रबी उल अव्वल-ईद मिलादुन नबी को क्या पढ़े और महत्व खुबिया और नवाफिल।

12 रबी उल अव्वल / ईद मिलादुन नबी का रोजा.

12 रबी उल अव्वल/ईद मिलादुन नबी क्यों करना चाहिए.

हम 12 रबी उल अव्वल/ईद ईद मिलादुन नबी कैसे मनाए

हम ईद मिलादुन नबी/12 रबी उल अव्वल क्यों मानते हैं  

12 रबी उल अव्वल/ईद मिलादुन नबी को कहने की कामना कैसे करे

12 रबी उल अव्वल/ईद मिलादुन नबी (Eid Milad Un Nabi) क्यों करना चाहिए?

रबी उल अव्वल इस्लामी साल का तीसरा ( 3rd ) महीना है । येह महीना फ़ज़ीलतों और सआदतों का मज्मूआ है क्यूं कि वोह जाते पाक जिन को अल्लाह करीम ने तमाम जहानों के लिये रहमत बना कर भेजा वोह अज़मतों वाले नबी , खातमुन्नबिय्यीन صلى الله عليه وسلم . इसी माहे मुबारक में दुन्या में तशरीफ़ लाए और यूं इस महीने को सब फ़ज़ीलतें और सआदतें हुजूर صلى الله عليه وسلم की विलादत ( Birth ) के सदके नसीब हुई । 

हज़रते सय्यिदुना इमाम ज़करिय्या बिन मुहम्मद बिन महमूद कुज़वैनी  फ़रमाते हैं : येह वोह मुबारक महीना है जिस में अल्लाह पाक ने अपने आखिरी नबी صلى الله عليه وسلم के वुजूदे मस्ऊद ( या'नी बा बरकत जात ) के सदके दुन्या वालों पर भलाइयों और सआदतों के दरवाजे खोल दिये हैं इसी महीने की बारह तारीख को रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم विलादत हुई
मुस्लमान के पास आज जो भी है वो उसके रसूल के बदौलत है अल्लाह ने दिया मगर अपने रसूल का वसीले से दिया। आज हम ईमान वाले है तो वो सिर्फ अपने रसूल के सदाके है और बेशक  ईमान वाले ही जन्नत में जाएंगे तो फिर भला हम जश्ने मिलाद क्यू नहीं मनाए यक़ीनन हमें बड़ी धूम धाम से ईद मिलादुन नबी (Eid Milad Un Nabi) मानना चाहिए

12 रबी उल अव्वल ईद मिलाद उन नबी शरीफ की कुछ जानकारी तफ़्सीरात हिंदी में
12 रबी उल अव्वल /ईद मिलाद उन नबी

हम 12 रबी उल अव्वल/ईद मिलादुन नबी (Eid Milad Un Nabi) कैसे मनाए ?

जश्ने विलादत मनाने की 13 निय्यतें
( 1 ) हुक्मे कुरआनी  ( तरजमए कन्जुल ईमान : और अपने रब की ने मत का खूब चरचा करो । ) पर अमल करते हुए अल्लाह पाक की सब से बड़ी ने मत का चरचा करूंगा
( 2 ) रिजाए इलाही पाने के लिये ईद मिलादुन्नबी (Eid Milad Un Nabi) की खुशी में लाइटिंग करूंगा
( 3 ) जिब्रईले अमीन ने शबे विलादत जो तीन झन्डे गाड़े थे इस की पैरवी में झन्डे लहराऊंगा
( 4 ) धूमधाम से जश्ने विलादत मना कर कुफ्फार पर अज़मते मुस्तफा صلى الله عليه وسلم का सिक्का बिठाऊंगा ( घर घर चरागां और सब्ज़ झन्डे देख कर कुफ्फार यक़ीनन हैरान होते होंगे कि मुसल्मानों को अपने नबी صلى الله عليه وسلم  की विलादत से वालिहाना प्यार है
( 5 ) जाहिरी सजावट के साथ साथ तौबा व इस्तिरफार के जरीए अपना बातिन भी सजाऊंगा
( 6 ) बारहवीं रात को इज्तिमाए मीलाद करवाऊंगा  
( 7 ) ईद मिलादुन्नबी (Eid Milad Un Nabi) के दिन निकलने वाले जुलूसे मीलाद में शिर्कत कर के ज़िक्रे खुदा व मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم की सआदतें और  उलमा और  नेक लोगों की जियारतें करूँगा
( 10 ) आशिकाने रसूल के कुर्ब की बरकतें हासिल करूंगा
( 11 ) जुलूसे मीलाद में हत्तल इम्कान बा वुजू रहूंगा
( 12 ) मस्जिद की नमाजे बा जमाअत तर्क नहीं करूंगा
( 13 ) हस्बे तौफ़ीक़ " तक्सीमे रसाइल " करूंगा । ( या'नी मक्तबतुल मदीना के रसाइल वगैरा जुलूसे मीलाद में तक़सीम करूंगा 

12 रबी उल अव्वल ईद मिलाद उन नबी शरीफ की कुछ जानकारी तफ़्सीरात हिंदी में
12 रबी उल अव्वल /ईद मिलाद उन नबी

ईद मिलादुन नबी (Eid Milad Un Nabi) और क्या पढ़े  महत्व खुबिया और नवाफिल or।?

अल्लाह करीम का कुर्ब पाने और उस की रिज़ा हासिल करने का एक बेहतरीन ज़रीआ नवाफ़िल भी हैं , बुजुर्गाने दीन फ़र्ज़ वाजिब के साथ साथ नवाफ़िल की कसरत फ़रमाया करते थे जन्नत में आका صلى الله عليه وسلم  का पड़ोस बारहवीं तारीख को नबिय्ये पाक صلى الله عليه وسلم  की रूहे पाक को तोहफ़ा पहुंचाने की निय्यत से 20 रक्अत नफ़्ल पढ़िये और हर रक्त में सूरए फ़ातिहा के बाद 21 मरतबा सूरए इख़्लास पढ़िये । एक शख्स हमेशा येह नमाज़ पढ़ता था उसे ख़्वाब में नबिय्ये पाक صلى الله عليه وسلم  की जियारत हुई आप صلى الله عليه وسلم  फ़रमा रहे थे कि हम तुम्हें अपने साथ जन्नत में ले कर जाएंगे ।
 

12 रबी उल अव्वल / ईद मिलादुन नबी का रोजा (Eid Milad Un Nabi)
ईद मिलादुन नबी (Eid Milad Un Nabi) 12 रबीउल अव्वल के दिन रोज़ा रखिये कि हुजूर  صلى الله عليه وسلم की विलादत के दिन रोज़ा रखना अल्लाह पाक की ने मत का शुक्र है और इस में बहुत ज़ियादा अज्रो सवाब भी है । खुद नबिय्ये करीम  صلى الله عليه وسلم हर पीर शरीफ़ ( Monday ) को रोज़ा रख कर अपना यौमे विलादत मनाते थे जैसा कि हज़रते सय्यिदुना अबू कतादा फ़रमाते हैं
बारगाहे रिसालत में पीर के रोजे के बारे में पूछा गया तो इर्शाद फ़रमाया : “ इसी दिन मेरी विलादत हुई और इसी रोज़ मुझ पर वही नाज़िल हुई ।

( 1 ) ने मत के शुक्राने में रोज़ा बिला शुबा रहमते आलम  صلى الله عليه وسلم की तशरीफ़ आवरी की ने मत से दुन्या व आख़िरत के फ़वाइद व मनाफ़ेअ पूरे हो गए और इसी ने'मत के तुफैल अल्लाह पाक का दीन मुकम्मल हुवा जिसे उस ने अपने बन्दों के लिये पसन्द फ़रमाया और इस दीन को कबूल करना दुन्या व आख़िरत में लोगों की सआदत मन्दी का सबब है । और ऐसे दिन का रोज़ा रखना बहुत अच्छा है जिस में अल्लाह पाक के बन्दों पर उस की ने'मतें नाज़िल होती हैं ।
( 2 ) 1000 साल की इबादत का सवाब अल्लाह पाक की अज़ीम ने मत का शुक्र अदा करने के लिये इस माहे मुबारक में ज़ियादा से ज़ियादा नफ्ली इबादात कीजिये । जवाहिरे गैबी में है कि 12 रबीउल अव्वल के दिन रोज़ा रखने वाले को 1000 साल की इबादत का सवाब मिलता है नीज़ पांच , सोलह और छब्बीस रबीउल अव्वल को रोज़ा रोज़ा रखने का भी बहुत सवाब है ।
( 3 ) ज़ियारते रसूल صلى الله عليه وسلم के वजीफे, ईद मिलादुन नबी (Eid Milad Un Nabi) 12 रबीउल अव्वल शरीफ़ में दुरूद शरीफ़ कसरत से पढ़िये । पहली तारीख से 12 तारीख तक रोज़ाना एक हज़ार मरतबा येह दुरूदे पाक पढ़ना अफ़ज़ल है

12 रबी उल अव्वल ईद मिलाद उन नबी शरीफ की कुछ जानकारी तफ़्सीरात हिंदी में
12 रबी उल अव्वल /ईद मिलाद उन नबी

हम ईद मिलादुन नबी (Eid Milad Un Nabi) १२ रबी उल अव्वल क्यों मानते हैं ?

मीलाद शरीफ़ का मक्सद ऐ आशिकाने रसूल ! मजलिसे मीलादे पाक अफ़ज़ल तरीन मन्दूबात ( मुस्तहब्बात ) और आ'ला तरीन मुस्तहूसनात ( नेक कामों में ) से है । हज़रते सय्यिदुना अल्लामा अब्दुर्रहमान बिन जौज़ी फ़रमाते हैं  मीलाद मनाने में शैतान की तज्लील ( या'नी ज़िल्लतो रुस्वाई ) और अहले ईमान की तक्वियत ( या'नी मज़बूती ) है ।
हज़रते सय्यिदुना इमाम जलालुद्दीन अब्दुर्रहमान सुयूती फ़रमाते हैं : नबिय्ये पाक صلى الله عليه وسلم- की विलादत मनाने वाले को सवाब मिलता है कि इस में हुजूर صلى الله عليه وسلم की ता'ज़ीम और आप की विलादते बा सआदत पर खुशी व शादमानी का इज़्हार है । हमारे लिये मुस्तहब है कि हुजूर صلى الله عليه وسلم  की विलादत पर इज़्हारे शुक्र के लिये इज्तिमाअ करें , खाना खिलाएं और इसी तरह की दूसरी नेकियां करें नीज़ खुशी व मसर्रत का इज़हार करें ।  

  • रबी उल अव्वल  में मिलाद  के फाएदे

अल्लाह करीम की तरफ से रबी उल अव्वल में जश्ने विलादत  मनाने वालों को बे शुमार दीनी व दुन्यावी फ़वाइद मिलते हैं जैसा कि हज़रते सय्यिदुना इमाम इब्ने जौज़ी फ़रमाते हैं : रबी उल अव्वल में जश्ने विलादत पर फ़रहतो मसर्रत करने वाले के लिये येह खुशी जहन्नम से रुकावट बनेगी , जो रबी उल अव्वल में जश्ने विलादत की खुशी में एक दिरहम ख़र्च करे तो नबिय्ये करीम उस की शफ़ाअत फ़रमाएंगे , रब्बे करीम उसे एक दिरहम के बदले 10 दिरहम अता फरमाएगा । ऐ उम्मते महबूब ! तुम्हारे लिये खुश खबरी हो , तुम दुन्या व आख़िरत में खैरे कसीर के हक़दार करार पाए । हज़रते सय्यदुना अहमदे मुज्तबा صلى الله عليه وسلم का रबी उल अव्वल में जश्ने विलादत मनाने वाले को बरकत , इज्जत , भलाई और फ़न मिलेगा , मोतियों का इमामा और सब्ज़ हुल्ला ( या'नी लिबास ) पहन कर वोह दाखिले जन्नत होगा ।


हज़रते सय्यिदुना इमाम अहमद बिन मुहम्मद क़स्तलानी फ़रमाते हैं : रबी उल अव्वल में विलादते बा सआदत के दिनों में महफ़िले मीलाद करने के फ़वाइद में से तजरिबा शुदा फ़ाएदा है कि इस साल अम्नो अमान रहता है । अल्लाह पाक उस शख्स पर रहमत नाज़िल फ़रमाए जिस ने माहे विलादत की रातों को ईद बना लिया । 


शैखे मुहक्किक , हज़रते सय्यिदुना शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी फ़रमाते हैं : हमेशा से ही मुसल्मान हुजूर صلى الله عليه وسلم की रबी उल अव्वल विलादत के महीने में ( मीलाद की ) महफ़िलें करते हैं और इस महीने की रातों में खूब सदक़ा व खैरात करते हैं । उन लोगों पर इस अमल की बरकत से हर किस्म की बरकतें ज़ाहिर होती हैं । इस महफ़िले मीलाद के खुसूसी मुजर्रबात में से येह है कि वोह साल भर तक अमान पाते हैं और इस में हाजत रवाई , मक्सूद बरआरी ( या'नी मुरादें पूरी होने ) की बड़ी बिशारत है । अल्लाह पाक उस शख्स पर बहुत ज़ियादा रहमतें नाज़िल फ़रमाए जिस ने रबी उल अव्वल विलादत के मीलादे मुबारक के दिन को ईद बनाया ।

12 रबी उल अव्वल ईद मिलाद उन नबी शरीफ की कुछ जानकारी तफ़्सीरात हिंदी में
12 रबी उल अव्वल /ईद मिलाद उन नबी

12 रबी उल अव्वल/ईद मिलादुन नबी (Eid Milad Un Nabi) को कहने की कामना कैसे करे ?

" रबीउल अव्वल " कहने की वज्ह इस्लामी भाइयो ! 

" रबीअ " मौसिमे बहार या'नी सर्दी और गर्मी के दरमियान के मौसिम को कहते हैं । अहले अरब मौसिमे बहार के शुरूअ के ज़माने को " रबीउल अव्वल " कहते थे इस में खुम्बी ( Mushroom ) और फूल पैदा होते थे और जिस वक्त फलों की पैदावार होती तो उन दिनों को रबीउल आख़िर कहते थे ।
जब महीनों के नाम रखे गए तो सफ़र के बा'द वाले दो महीनों को इन्ही दो मौसिमों के नामों पर रबीउल अव्वल और रबीउल आख़िर का नाम दिया गया । रबीउल अव्वल की अज़मतों की वजह रबीउल अव्वल की अजमतों के क्या कहने ! यक़ीनन हुजूरे अन्वर صلى الله عليه وسلم  दुन्या में तशरीफ़ न लाते तो कोई ईद , ईद होती , न कोई शब , शबे बराअत । बल्कि कौनो मकां की तमाम तर रौनक और शान इस जाने जहान , महबूबे रहमान صلى الله عليه وسلم  के क़दमों की धूल का सदक़ा है । इस मुबारक महीने की बारहवीं तारीख़ बहुत ही सआदतों और अजमतों वाली है येह तारीख आशिकाने रसूल के लिये ईदों की भी ईद है

12 रबी उल अव्वल ईद मिलाद उन नबी शरीफ की कुछ जानकारी तफ़्सीरात हिंदी में
12 रबी उल अव्वल /ईद मिलाद उन नबी


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