वुजू के मकरुहात और वुजु के मुस्तहब्बात - WAZU KE MUSTAHABAT OR WAZU KE MAKRUHAT

 वुजू के मकरुहात और वुजु के मुस्तहब्बात - WAZU KE MUSTAHABAT OR WAZU KE MAKRUHAT

वुजू के मकरुहात और वुजु के मुस्तहब्बात - WAZU KE MUSTAHABAT OR WAZU KE MAKRUHAT


 वुजू के मकरुहात और वुजु के मुस्तहब्बात इस तरह है की वज़ू करते वक़्त और करने के बाद बहुत सी बातो को धेयान में रखना पढता है वज़ू करते वक़्त और वज़ू के बाद निचे दिए गए बातो में से एक  भी बात हो जाती है तो वज़ू टूट सकता है 

वुजू के मकरुहात और वुजु के मुस्तहब्बात अगर हम नहीं जाने बिगर हम नमाज़ पढ़ते है या क़ुरान पढ़ते है तो ये सब हमारा जाया हो जाएंगे नमाज़ हम पढ़ तो लेंगे पर इसका सवाब हमें नहीं मिल पाएंगे 

वज़ू के मकरुहात और वुजु के मुस्तहब्बात हर मोमिन को जान लेना चाहिए और एक तरीके से ये सुन्नत भी है तो आइये जाते है निचे दिया गए हैं 


  • वुजु के मुस्तहब्बात

( १ ) जो आअज़ा चौड़े हैं मसलन दोनों हाथ दोनों पांव तो इन में दाहिने से धोने की इलदा ( पहल ) करें मगर दोनों रुख्सार कि इन दोनों को एक ही साथ धोना चाहिये यूँही दोनों कानों का मसह एक साथ होना चाहिये.

( २ ) उँगलियों की पीठ से गरदन का मसह करना.

( ३ ) ऊँची जगह बैठकर वुजू करना.

( ४ ) वुजू का पानी पाक जगह गिाना

( ५ ) अपने हाथ से वुजू का पानी भरना

( ६ ) दूसरे वक्त के लिये पानी भर कर रख देना

( ७ ) ढीली अंगूठी को भी फिरा लेना.

( ८ ) साहिबे उज़ न हो तो वक्त से पहले वुजू कर लेना.

( ९ ) इतमिनान से वुजू करना.

( १० ) कानों के मसह के वक्त उँगलियां कानों के सुराखों में दाखिल करना.

( ११ ) कपड़ों कोटपकते हुयेक़तरात से बचाना.

( १२ ) वुजू का बरतन मिट्टी का होना.

( १३ ) अगर तांबे वगैरह का हो तो कलयी किया हुआ हो.

( १४ ) अगर वुजू का बरतन लोटा हो तो बाँए तरफ रखना.

( १५ ) हर् अज़्व को धोकर उसपर हाथ फेरना ताकि क़तरे बदन पर या कपड़े पर न टपकें.

( १६ ) हर अज़्व को धोते वक्त दिल में वुजू की नीयत का हाजिर रहना.

( १७ ) ह्र अज़्व को धोते वक्त अलग अलग अज़्व के धोने की दुआओंको पढ़ते रहना.

( १८ ) आज़ाए वुजू को बिला जुरुरत पोंछ कर खुश्क न करे और अगर पोछे तो कुछ नमो बाकी रहने दे.

( १ ९ ) वुजू करके हाथ न झटके कि यह शैतान का पंखा है.

( २० ) वुजू के बाद अगर मकह वक्त न हो तो दो रकमत नमाज़ पढ़ लेइसको तहियतुल्वुजू कहते हैं । 


  • वुजू के मकरुहात 

( १ ) वुजू के लिए नापाक जगह बैठना या नापाक जगह वुजू का पानी गिराना.

( २ ) आज़ाए वुजू से लोटे वगैरह में पानी टपकाना.

( ३ ) मस्जिद के अन्दर वुजू करना.

( ४ ) पानी में थूकना , नाक सिनिना अगर चिदरिया या हौज़ हो.

( ५ ) किल्ला की तरफ थूकना या कुल्ली करना.

( ६ ) बे जुरुरत दुनिया की बातें करना.

( ७ ) जुरुरत से ज़्यादा पानी ख़र्च करना.

( ८ ) इतना कम पानी खर्च करना किं सुन्नत अदा न हो.

( ९ ) चेहरापरज़ोर से पानी मारना.

( १० ) एक हाथ से मुँह धोना कि यह हिन्दुओ ( काफिरो ) का तरीका है.

( ११ ) गले का मसंह करना.

( १२ ) वाए हाथ से कुल्ली करना या नाक में पानी डालना.

( १३ ) दाए हाथ से नाक साफ करना.

( १४ ) धूप के गर्म पानी से वुजू करना कि वह बर्स ( सफेद दाग ) पैदा करता है.

( १५ ) होंट या आँख ज़ोर से बन्द करलेना.

( १६ ) किसी सुन्नत को छोड़ देना । ( वहारे शरीअत ) जूको तोड़नेवाली चीजें पाखाना , पेशाव , वदी , मजी , मनी , कीड़ा , पथरी , जो मर्द या औरत के आगे या पीछे के मकाम से निकले । 

मर्द या औरत के पीछे के मक़ाम से हवा का निकलना

खून या पीप या पीले पानी का बदन के किसी भी हिस्सा से निकलना और बहना , खाने या पानी या सुफा की मुँह भर कय आना , इस तरह सो जाना कि दोनों सुरीन अपनी जगह अच्छी तरह न जमें हो.

चित या पट या करवट पर लेट कर सो जाना.

बेहोशी , जुनून , गशी और इतना नशा कि चलने में पाँव लड़खड़ाए इससे भी वुजू टूट जाता है.

बालिग़ शख्स का रुकूअ व सुजूद वाली नमाज़ में इतनी आवाज से हँसना कि आसपास वाले सुन लें , दाँतों से इस कद्र खून निकलना कि इससे थूक का रंग सुर्ख ( लाल ) हो गया , देखती हुयी आँख से पानी बहना क्यूंकि वह पानी ( आँसू ) नापाक है , इस तरह कान नाक , पिस्तान वगैरह में दाना या नासूर या कोयी मर्ज़हो उनकी वजह से जोपानी बहे इससे भी जाता रहता है.

मसालहः औरत के आगे के मक़ाम से जो खालिस रतूबत विगैर खून वाली निकलती है इससे वुजू नहीं टूटता अगर यह रतूबत कपड़े में लग जाए तो कपड़ापाक है.

मसालहः आँख में दाना था और वह फूट कर आँख के अन्दर ही फैल गया बाहर नहीं निकला या कान के अन्दर दाना टूटा और उसका पानीसुराख सेवाहर नहीं निकला तोइन सूरतों में जूबाकी है.

मसालहः बलगम कीक़य से वुजू नहीं टूटता जितनी भी हो ।


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